वर्मीफयूगोज -2
वर्मीफयूगोज -2
वर्मीफयूगोज -2 के निर्माण में निम्न वनस्पितियों का प्रयोग किया गया
क्र0 |
औषधिय पौधे |
अन्य नाम |
मात्रा
प्रतिशत में |
उपयोग |
1 |
ALLIUM
SATIVAM |
लहसून |
30 |
जीवाणु व संक्रामण रोधी |
2 |
CHINOPODIUM
ANTHELMINITICUM |
गोजफुट |
20 |
ऑतों में कीडों |
3 |
DICTAMNUS ALBUS |
डेटनी, वर्निग बुश, गैस प्लांट |
30 |
ऑतों में कीडे,त्वचा विकार |
4 |
EUPHORBIUM OFFICINALIS |
डंडाधोरा, कैक्टस का
एक प्रकार |
5 |
मयुकस मैम्बरैंस पर |
5 |
IMPERATORIA OSTHRUTIUM |
मास्टर वॉर्ट, |
----- |
रोगाणु रोधक |
`6 |
RUTA GRAVEOLEU |
सुदाब,सिताब, बाहीबूटी, सर्पदष्टा, पीत पुष्पा |
10 |
मसल्स पेन, गुदामार्ग में सूजन
खुजली |
7 |
THYMUS SERPILLIUM |
जंगली अजवान, रेगने वाला अजवाईन,,ब्रेकलैड थाइम,वाइल्ड थाईम |
--- |
रोगाणुरोधी, एन्टीफंगल, एन्टी आक्सीडेन्ट, एंटी इफ्लेमेटरी,एंटी बैक्टेरिया |
8 |
ARTEMISIA CINA |
सैटोनिका, लेवेंट, जर्मसीड |
30 |
पेट में कीडे |
9 |
TENTACETUM VULGARE |
Tansy, |
20 |
ऑतों के कीडे,पाचन समस्याओं ,जीवाणुरोधी |
10 |
SPIGELLIA
ANTHELMIA |
स्पिगेलिया
एंथेल्मिया ,Worm Herb |
20 |
कीडों के साथ मल निवाह में सहायक |
वर्मीफ्यूगोज-2 -- वर-1 से गहरा प्रभाव रखने वाली दवा है जब कभी वर-1
से परिणाम न मिले तब इसका आंतरिक व वाहय प्रयेाग कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते
है । यह इलैक्ट्रो होम्योपैथिक की एन्टी बायोटिक दवा है । जिस प्रकार वर-1 कार्य करती है उसी प्रकार के रोगों में यह दवा
कार्य करती है । परन्तु इसका प्रभाव गहरा होता है । यह दवा भी पेट में किसी भी प्रकार
के कीडे हो उसे निकाल देती है । यह दवा सभी प्रकार के बैक्टेरियल बीमारी में भी उपयोगी
है मुंह व गले में छाले धॉव या इंफेक्शन में इसका गरारा करने से लाभ होता है । बैक्टेरियल
बीमारीयों में यदि त्वचा रोग , एग्जीमा, आर्टिकेरिया, त्वचा में खुजली
या त्वचा रोग हो तो इसका उपयोग अन्य सहायक
औषधियों के साथ कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ,यह दवा कब्ज , सूखा मल
व गुदाद्वार में खूजली आदि में एस लास, वाई ई के साथ प्रयोग
कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । जैसाकि पहले ही बतलाया जा चुका है कि यह
दवा एन्टी बैक्टेरियल है अत: संक्रामक रोग , व बुखार आदि एफ ग्रुप
की दवाओं के साथ इसका प्रयेाग किया जा सकता है । उल्टी दस्त पेट में गैस बनना मलद्वार
के रोग मूत्राश्य के रोग , जो बैक्टेरिया की वजह से हो इसका उपयोग किया जा
सकता है । बालों के रोग बालों में फंगस होना यह दवा एण्टीसेप्टीक की तरह से भी कार्य
कारती है । इसके साथ इसका उपयोग नीद न आना , आधा शीशी का र्दद , धॉव , फफोले पडना, बैक्टेरिया की वजह से धॉवों का सडना , । पेशाब के रोगों में इसका उपयोग सी-17 के साथ करने
से अच्छे परिणाम मिलते है । वात पीडा , मॉसपेशियों में र्दद ,मिर्गी के दौरे , दिमाक में
कीडे आदि की वजह से उत्पन्न रोगों में इसका प्रयोग किया जा सकता है । मॉसपेशियों
के र्दद ,बैक्टेरियल फंगल, एंव धॉव
आदि में इसका अंतरिक व वाहय प्रयेाग करते है
। ऐनिमा आदि में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है । बच्चों की खॉसी , दॉत निकलते समय दस्तों का लगना, पीरियड का रूक रूक कर होना ,बच्चों का जिद्द करना , चिडचिडापन, जिद्दी स्वाभाव के
बच्चे हमेशा रोते रहना
प्रथम डायल्युशन- इसका प्रथम डायल्युशन इसकी तेज
मात्रा है अत: इसका प्रयोग कब्ज,मल सूखने पर व पेट के
कीडों को निकालने में किया जाता है ।
दूसरा डायल्युशन- महिलाओं के पीरियड को सुचारू से
नियमित करता है यदि पीरियड रूक रूक कर आ रहा हो तो इसके दूसरे डायल्युशन का प्रयोग
करना चाहिये ा
तीसरा डायल्युशन- बच्चों की खॉसी , दॉत निकलते समय दस्तों का लगना
उच्च डायल्युशन- इसके उच्चे डायल्युशन का प्रयोग
सभी तरह के दिमाकी रोग ,आधाशीशी के र्दद में मिर्गी के दौरे, दिमाक में किसी कीडे की वजह से उत्पन्न रोगों में
।
डॉ0 कृष्णभूषण सिंह चन्देल
मो0-9926436304
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