क्‍वान्‍टम थेवरी

  

                              क्‍वान्‍टम थेवरी

 क्‍वान्‍टम थेवरी :- जहॉ से भौतिक वस्‍तुओं का अस्तित्‍व समाप्‍त होने लगता है वहॉ से सूक्ष्‍म अर्थात क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होने लगता है ।  यहॉ पर हमारे वस्‍तु शब्‍द का प्रयोग करने का तात्‍पर्य है चूंकि भौतिक वस्‍तु से है , जबकि अध्‍यात्‍म में दो प्रकार के अस्तित्‍व का विवरण है उनका मानना है कि हमारे शरीर में भौतिक शरीर तथा सूक्ष्‍म शरीर वि़द्यमान है । भौतिक वस्‍तु वह है जो दिखलाई देती है एंव समय के साथ उसका अस्तित्‍व नष्‍ट हो जाता है जबकि सूक्ष्‍म वस्‍तु का अस्तित्‍व समाप्‍त नही होता वह अपना रूप बदलती है । जिस प्रकार से भौतिक वस्‍तु का मान सख्‍यात्‍मक रूप से बढता है उसी प्रकार सूक्ष्‍म वस्‍तु की मात्रा जितनी कम होती जाती है उसका क्‍वान्‍टम मान सख्‍यात्‍मक रूप से बढता चला जाता है । जिस प्रकार से भौतिक वस्‍तुओं के सख्‍यात्‍मक मान से उसका आकलन किया जाता है ठीक उसी प्रकार से सूक्ष्‍म वस्‍तुओं के घटते क्रम के मान का संख्‍यात्‍मक आंकलन किया जाता है । भौतिक वस्‍तुओं का बढतें क्रम से उस वस्‍तु को धनात्‍मक वृद्धि के अनुसार र्दशाते है । परन्‍तु सूक्ष्‍म वस्‍तु के मान में उसकी संख्‍या को घटते क्रम के मान से दृशाते है ,परन्‍तु सूक्ष्‍म वस्‍तु के कान में उसकी संख्‍या को घटते क्रम के मान से दृशाते है भौतिक एंव सूक्ष्‍म एक के बढते क्रम एंव दुसरे के घटते क्रम को घनात्‍मक रूप से वृद्धि के क्रम में ही माना जायेगा ,जैसे यदि किसी बस्‍तु के भार में वृद्धि होती जाती है तो उसका संख्‍यात्‍मक मान बढता चला जाता है जैसे एक ग्राम से वह दो ग्राम फिर तीन ग्राम क्रमश: इसी प्रकार से बढती जाती है , ठीक इसी प्रकार से यदि किसी बस्‍तु का भौतिक अस्तित्‍व समाप्‍त हो कर वह जितनी सूक्ष्‍म होती जाती है उसकी सूक्ष्‍मता का मान ठीक इसी प्रकार से कम होता जाता है ,परन्‍तु इस सूक्ष्‍म से अति सूक्ष्‍म वस्‍तु जो अब वस्‍तु नही रही बल्‍की इतनी सूक्ष्‍म हो गयी कि उसका अपना भौतिक अस्तित्‍व नही रहा परन्‍तु मात्र भौतिक अस्तित्‍व के न रहने से उसका अस्तित्‍व समाप्‍त नही हो जाता बल्‍की उसका अस्तित्‍व व उसके कार्य करने की क्षमता भौतिक वस्‍तु से कई गुना बढ जाती है । परमाणुवाद का सिद्धान्‍त एंव होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये तथा आयुर्वेद के मर्दनम शक्ति आदि । क्‍वान्‍टम थैवरी पर अभी वैज्ञानिकों का शोध कार्य चल रहा है एंव उन्‍होने माना है कि भौतिक वस्‍तुओं को बार बार तोडने या उसे सूक्ष्‍म अति सूक्ष्‍म करने से वह अपने भौतिक शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली हो जाती है । भविष्‍य में नाभीकिय क्‍वान्‍टम का सिद्धान्‍त रोग निवारण कि दिशा में एक नया अध्‍याय प्रारम्‍भ करेगी एंव रोग उपचार को एक नई दिशा देगी

1-भौतिक- भौतिक वस्‍तु व भौतिक क्रियाये वे है जो भौतिक रूप में होती है अर्थात जो दिखलाई देती है जिन्‍हे स्‍पर्श किया जा सकता है एंव भौतिक वस्‍तु एक निश्चित समय में समाप्‍त हो जाती है ।

2-सूक्ष्‍म वस्‍तु :- सूक्ष्‍म वस्‍तु या सूक्ष्‍म क्रियाये वे है जो सूक्ष्‍म होती है इतनी सूक्ष्‍म होती है जिन्‍हे देखा नही जा सकता अर्थात अभौतिक होती है ,इन्‍हे स्‍पर्श नही किया जा सकता अर्थात ये भौतिक न होकर सूक्ष्‍म अतिसूक्ष्‍म होती है । जैसे परमाणु विखण्‍डन का सिद्धान्‍त ।

  क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त ही सूक्ष्‍मता पर आधारित है अर्थात जब भौतिक रूप सूक्ष्‍म रूप में परिवर्तित होने लगती है वहॉ से क्‍वान्‍टम थैवरी का सिद्धान्‍त प्रारम्‍भ होता है । वस्‍तु जितनी सूक्ष्‍म होती जायेगी उसकी सूक्ष्‍म गणना उतनी आगे बढती जायेगी एंव उसमें मूल बस्‍तु की अपेक्षा कार्य करने की क्षमता अधिक होती जायेगी । सूक्ष्‍म वस्‍तु में भौतिक रूप न होते हुऐ भी वह कार्य की दृष्टि  से अतितीब्र होती है ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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